भारत-ईएफटीए व्यापार समझौता से अब भारतीय उत्पादों को मिलेगा यूरोपीय बाज़ार




 नई दिल्ली। भारत-यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते (TEPA) पर 10 मार्च 2024 को नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए थे। 1 अक्टूबर 2025 से लागू यह समझौता भारत की विदेश व्यापार नीति में निर्णायक साबित होगा।

यूरोप के चार विकसित देशों स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन के साथ किया गया यह भारत का पहला मुक्त व्यापार समझौता है और आर्थिक दृष्टि से सबसे महत्वाकांक्षी समझौतों में से एक है। यह परिमाण और उद्देश्य के लिहाज से सबसे महत्वाकांक्षी समझौतों में से एक है। यह आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना और ईएफटीए की मजबूत और विविधीकृत साझेदारीयों की तलाश के रणनीतिक संमिलन का प्रतीक है

इस समझौते में 14 अध्याय शामिल हैं, जो मुख्य क्षेत्रों जैसे कि वस्तुओं की बाजार तक पहुंच, उत्पत्ति के नियम, व्यापार सुविधा, व्यापार में सुधार, स्वच्छता और पादप-स्वच्छता उपाय, व्यापार की तकनीकी बाधाएँ, निवेश प्रोत्साहन, सेवाएँ, बौद्धिक संपदा अधिकार, व्यापार और संवहनीय विकास और अन्य कानूनी और आपसी प्रतिस्पर्धा घटाने के प्रावधानों पर केंद्रित हैं।

इस समझौते का मुख्य लक्ष्य अगले पंद्रह वर्षों में भारत में 100 बिलियन डॉलर का निवेश लाना तथा दस लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजित करना है। यह देश के आर्थिक इतिहास में सबसे अग्रगामी व्यापार साझेदारीयों में से एक है।

अनुच्छेद 7.1 के अंतर्गत, ईएफटीए के चार सदस्य देशों ने पहले 10 वर्षों में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को 50 अरब डॉलर तक बढ़ाने और उसके अगले 5 वर्षों में अतिरिक्त 50 अरब डॉलर तक बढ़ाने का संकल्प लिया है।

पोर्टफोलियो आप्रवाह के विपरीत, ये दीर्घकालिक, क्षमता-निर्माण निवेश है जिसमें विनिर्माण, नवोन्मेष और अनुसंधान को केंद्र में रखा गया है। समय के साथ, इनसे दस लाख प्रत्यक्ष रोज़गार पैदा होने और भारत के कुशल कार्यबल और यूरोप के प्रौद्योगिकी परिवेश के बीच गहरे संबंध स्थापित होने की संभावना है।

फरवरी 2025 से निवेश सुविधा को सुव्यवस्थित करने के लिए, एक समर्पित भारत-ईएफटीए डेस्क शुरू किया गया है, यह संभावित निवेशकों के लिए सिंगल विंडो प्लेटफार्म के रूप में कार्य करता है। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा, जीवन विज्ञान, इंजीनियरिंग, और डिजिटल बदलाव पर विशेष ध्यान दिया गया है, इसके साथ ही यह संयुक्त उद्यमों और लघु और मध्यम उद्यमों के सहयोग को भी बढ़ावा देता है।

टीईपीए महत्वाकांक्षा और विवेक के बीच संतुलन बनाता है। ईएफटीए ने सीमा शुल्क की 92.2 प्रतिशत उत्पाद प्रविष्टियों पर रियायत की पेशकश की है, जिसके दायरे में भारत का 99.6 प्रतिशत निर्यात शामिल है। इससे सभी गैर-कृषि वस्तुएं और प्रसंस्करित कृषि उत्पाद रियायत के दायरे में आएंगे।

बदले में, भारत ने कड़े सुरक्षा उपायों के साथ 82.7 प्रतिशत उत्पाद प्रविष्टियां पर पहुँच दे दी है, जो ईएफटीए निर्यात का 95.3 प्रतिशत है। ईएफटीए से 80 प्रतिशत से ज़्यादा आयात सोने का आयात होता है जिसमें प्रभावी शुल्क में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

डेयरी, सोया, कोयला, फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरण और चुनिंदा खाद्य उत्पादों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को इस सूची से अलग रखा गया है। मेक इन इंडिया और उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के तहत आने वाले उत्पादों के लिए, सीमा शुल्क में 5-10 वर्षों में चरणबद्ध कटौती की जा रही है। इससे घरेलू उद्योगों को स्पर्धा में उतरने से पहले मज़बूत होने का समय मिल जाता है।

भारत के सकल मूल्य वर्धन(जीवीए) में सेवाओं का योगदान 55% से अधिक है और टीईपीए ज्ञान और डिजिटल सेवाओं में अगली पीढ़ी के व्यापार के लिए एक मंच प्रदान करता है।

भारत ने 105 उप-क्षेत्रों में अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है, जबकि ईएफटीए के प्रस्तावों में स्विट्ज़रलैंड से 128, नॉर्वे से 114, आइसलैंड से 110 और लिकटेंस्टीन से 107 क्षेत्रों की पेशकश है। इसमें आईटी और व्यावसायिक सेवाएँ, शिक्षा, मीडिया, सांस्कृतिक और व्यावसायिक सेवाओं जैसे प्रमुख भारतीय क्षेत्र शामिल हैं।

टीईपीए का एक निर्णायक प्रावधान पेशेवर गतिशीलता को आसान बनाने की दिशा में एक कदम के रूप में, नर्सिंग, चार्टर्ड अकाउंटेंसी और वास्तुकला जैसे व्यवसायों में पारस्परिक मान्यता समझौतों (एमआरए) को शामिल करना है, जो कि सहज व्यावसायिक गतिशीलता की दिशा में एक कदम है।

टीईपीए से आईटी और व्यावसायिक सेवाओं, सांस्कृतिक और मनोरंजन, शिक्षा और दृश्य-श्रव्य सेवाओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भारत से दी जाने वाली सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा मिलने की भी उम्मीद है।

मोड 1: सेवाओं की डिजिटल डिलीवरी

मोड 2: व्यावसायिक उपस्थिति

मोड 3: कुशल पेशेवरों के प्रवेश और अस्थायी प्रवास के लिए निश्चितता

टीईपीए के आईपीआर प्रावधान ट्रिप्स (बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलू) के प्रति प्रतिबद्ध हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और जेनेरिक दवाओं पर भारत के लचीलेपन को बनाए रखते हुए उच्च स्तर की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

वैश्विक नवाचार के केंद्र स्विट्ज़रलैंड के लिए, आईपीआर अध्याय भारत की नियामक शक्ति में विश्वास को दिखाता है। वहीं, पेटेंट एवरग्रीनिंग के खिलाफ भारत के सुरक्षा उपाय दवाओं तक किफ़ायती पहुँच सुनिश्चित करते हैं। यह संतुलन नवोन्मेष और समावेशन के बीच विश्वास-आधारित सहयोग का एक आदर्श मॉडल बनाता है।

टीईपीए संवहनीय विकास, समावेशी विकास, सामाजिक प्रगति और पर्यावरण संरक्षण पर ज़ोर देता है। यह व्यापार प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, दक्षता, सरलीकरण, सामंजस्य और निरंतरता को बढ़ावा देगा।

भारत-ईएफटीए व्यापार और आर्थिक भागीदारी समझौते से भारतीय उद्योंगों के लिए कई अवसर खुलते हैं। ईएफटीए में 92 प्रतिशत उत्पाद प्रविष्टियां शामिल होने से, मशीनरी, जैविक रसायन, कपड़ा और प्रसंस्करित खाद्य पदार्थ जैसे क्षेत्रों में भारतीय निर्यातकों की ईएफटीए के बाजारों तक पहुंच बढ़ेगी। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ने, लागत कम करने और वहाँ के बाजारों में भारतीय उत्पादों के प्रवेश में तेजी आने की संभावना है।

वित्त वर्ष 2024-25 में ईएफटीए देशों में भारत का निर्यात 72.37 मिलियन डॉलर का होगा, जिसमें ग्वार गम, प्रसंस्करित सब्जियाँ, बासमती चावल, दालें, फल और अंगूर प्रमुख हैं।

टीईपीए ने विशेष रूप से स्विट्जरलैंड और नॉर्वे में इन श्रेणियों में सीमाशुल्क को कम किया है या समाप्त कर दिया है, जिसमें ईएफटीए के साथ भारत के कृषि-व्यापार का 99% से अधिक हिस्सा है।

ईएफटीए देश मिलकर 175 मिलियन डॉलर मूल्य की कॉफ़ी का आयात करते हैं, जो वैश्विक व्यापार का लगभग 3% है। सभी कॉफी श्रेणियों पर शुल्क समाप्त होने से भारतीय उत्पादकों की स्विट्जरलैंड और नॉर्वे के प्रीमियम बाजारों तक पहुंच बढ़ेगी, यह छाया में उगाई गई और हाथ से चुनी गई भारतीय कॉफी के लिए एक आदर्श स्थान है।

चाय के लिए, ईएफटीए के छोटे लेकिन उच्च मूल्य वाले बाजार (लगभग 3 मिलियन किलोग्राम प्रतिवर्ष) में पहले ही लाभ दिखने लगा है, भारत का औसत निर्यात 2024-25 में बढ़कर 6.77 डॉलर प्रति किलोग्राम हो गया जबकि पिछले वर्ष यह 5.93 डॉलर प्रति किलोग्राम था।

वित्त वर्ष 2024-25 में ईएफटीए देशों को इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात 315 मिलियन डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 18% अधिक है। इस समझौते से इलेक्ट्रिक मशीनरी, तांबे के उत्पादों, ऊर्जा-कुशल प्रणालियों और इंजीनियरिंग के लिए बाजार पहुँच का विस्तार होगा।

कपड़ा और परिधान, जिनका मूल्य 0.13 बिलियन डॉलर है, तथा चमड़ा और जूते-चप्पल पर शुल्क स्थिर रखने और मानकों के सरलीकरण से लाभ मिलेगा, जबकि खेल के सामान और खिलौनों का ड्यूटी समाप्त करने और अनुरूपता मानकों की आपसी सहमति का लाभ होगा।

रत्न एवं आभूषणों को टीईपीए, सभी ईएफटीए देशों में शुल्क-मुक्त रखा गया है, जिससे हीरे, सोने और रंगीन रत्नों के निर्यातकों के लिए दीर्घकालिक पूर्वानुमान सुनिश्चित किया जा सकता है।

ईएफटीए ने भारत के 95% रासायनिक निर्यात पर सीमाशुल्क समाप्त कर दिया है या कम कर दिया है जिससे मुक्त व्यापार समझौते से पहले के शुल्कों में 54% तक की कटौती हुई है।

निर्यात 49 मिलियन डॉलर से बढ़कर 65-70 मिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, विशेष रूप से पालतू पशुओं के भोजन, रबर, सिरेमिक और कांच के बने पदार्थों में।

प्लास्टिक और से लाख से बने उत्पादों के लिए, टीईपीए उच्च-मूल्य वाले यूरोपीय बाजारों में विविधीकरण को सक्षम बनाता है, जिससे अमेरिका जैसे ज्यादा टैरिफ वाले देशों पर निर्भरता कम होती है।

टीईपीए भारत के लिए एक व्यापार समझौते से कहीं बढ़कर है, यह समान विचारधारा वाली अर्थव्यवस्थाओं के साथ रणनीतिक विश्वास का एक साधन है जो पारदर्शिता, नियम-आधारित व्यापार और नवोन्मेष को महत्व देते हैं।

यह व्यापार उदारीकरण के प्रति एक परिपक्व दृष्टिकोण को भी दर्शाता है, जो देश के हितों की रक्षा करते हुए भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में प्रस्तुत करता है। निवेश, रोजगार, प्रौद्योगिकी और संवहनीयता के द्वार खोलकर, टीईपीए एक आधुनिक आर्थिक साझेदारी का उदाहरण प्रस्तुत करता है, जो महत्वाकांक्षी, संतुलित और दूरदर्शी है।

भारत-ईएफटीए व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौता (टीईपीए) एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो चार विकसित यूरोपीय देशों के साथ भारत का पहला मुक्त व्यापार समझौता है। इसके माध्यम से आने वाले 15 वर्षों में 100 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश और 10 लाख प्रत्यक्ष रोजगार सृजन की संभावनाएं जुड़ी हुई हैं। यह समझौता वस्तुओं और सेवाओं की बाजार तक पहुंच को बेहतर बनाएगा, बौद्धिक संपदा अधिकारों को सशक्त करेगा और ‘मेक इन इंडिया’ व ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों को आगे बढ़ाते हुए सतत और समावेशी विकास को प्रोत्साहित करेगा। 


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