नेत्र सेवाओं में खेल! पदोन्नति घोटाले ने खोली छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग की पोल

 


रायपुर/दुर्ग।छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग में बड़ा घोटाला सामने आया है। स्वास्थ्य संयोजक कर्मचारी संघ ने आरोप लगाया है कि संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं रायपुर/दुर्ग ने नियमों को दरकिनार कर नेत्र सहायक अधिकारी के पदों पर 20 प्रतिशत की सीमा से कहीं अधिक पदोन्नति कर दी है। यह न केवल भर्ती नियमों का खुला उल्लंघन है, बल्कि इसमें आर्थिक लेन-देन और भ्रष्टाचार की भी गहरी बू आ रही है।


नियमों को ताक पर रखकर पदोन्नति का खेल:भर्ती नियम 2020 और छत्तीसगढ़ राजपत्र 11 जून 2020 के मुताबिक—


•80% पद सीधी भर्ती से भरे जाने चाहिए।


•20% पद पदोन्नति के जरिए ग्रामीण स्वास्थ्य संयोजक (ड्रेसर) से भरे जाने चाहिए।


लेकिन नियमों की इस स्पष्ट व्यवस्था •को नजरअंदाज करते हुए लगातार वर्षों से तय सीमा से अधिक कर्मचारियों को पदोन्नति दे दी गई।


आंकड़े चौंकाने वाले हैं—


•वर्ष 2022-23: रिक्त पद 61, लेकिन पदोन्नति 15


•वर्ष 2023-24: रिक्त पद 52, लेकिन पदोन्नति 22


•वर्ष 2024-25: रिक्त पद 54, लेकिन पदोन्नति 13


•वर्ष 2025-26: 6 और पदोन्नति आदेश जारी।


स्पष्ट है कि लगातार 3 वर्षों से सीधी भर्ती के अवसरों को खत्म किया गया और बेरोजगार अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ हुआ।


भ्रष्टाचार की बू और स्वास्थ्य पर खतरा!

संघ का आरोप है कि इन पदोन्नतियों के पीछे पैसों का खेल की पूरी संभावना है !


प्रदेश सचिव प्रवीण ढीड़वंशी एवं प्रदेश उपाध्यक्ष हरीश जायसवाल ने कहा—

“आज जिन कर्मचारियों को नियमविरुद्ध पदोन्नति दी जा रही है,वो पूर्णतः राजपत्र का उल्ल्घन है !


सरकार से सीधी चेतावनी!

संघ ने राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग को दो टूक चेतावनी दी है कि—


•नियमविरुद्ध पदोन्नतियां तुरंत निरस्त की जाएं।


•उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर दोषी संयुक्त संचालक और संबंधित अधिकारियों को निलंबित किया जाए।


•यदि कार्यवाही नहीं हुई तो रायपुर और दुर्ग संभाग में उग्र आंदोलन और घेराव किया जाएगा।


•संघ का कहना है कि इस आंदोलन की पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।



जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़!

पूर्व में रायपुर में तैनात एक नेत्र सहायक ने भी चेतावनी दी थी कि अनुभवहीन और अवैध तरीके से पदोन्नत कर्मचारियों से गंभीर हादसे हो सकते हैं।

संघ का सवाल।


राज्यव्यापी गुस्से की आहट!

छत्तीसगढ़ में बेरोजगार अभ्यर्थियों के बीच इस मुद्दे ने आक्रोश पैदा कर दिया है। सीधी भर्ती के 80% पद गायब हो जाने का मतलब है कि हजारों युवाओं के सपनों पर ताला लग गया।


जनता को उम्मीद थी कि पूर्ववर्ती सरकार की करतूतों को उजागर करने और स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए भेजे गए ईमानदार IAS अमित कटारिया, स्वास्थ्य सचिव के तौर पर सख्ती जरूर बरतेंगे। लेकिन विभाग के अधिकारी उनके रहते भी विभाग के भीतर गुमराह कर भ्रष्टाचार का ऐसा बड़ा खेल खेला जा रहा है, निश्चित ही ईमानदार स्वास्थ्य सचिव महोदय इस विषय की जाँच कर कठोर कार्यवाही करेंगे ताकि विभाग में दुबारा ऐसा राजपत्र का खुला उल्ल्घन एवं भ्रस्टाचार न हो !




संघ का कहना है


छत्तीसगढ़ की धरती अब यह पूछ रही है – क्या नियम और न्याय सिर्फ कागजों तक सीमित हैं?


 यह घोटाला न केवल व्यवस्था की पोल खोलता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि स्वास्थ्य विभाग के भीतर की सच्चाई कहीं ज्यादा अंधेरी और खतरनाक है।


प्रदेश अध्यक्ष टारजन गुप्ता ने कहा—

“हमारा संघर्ष सिर्फ कर्मचारियों के लिए नहीं, बल्कि बेरोजगार युवाओं और आम जनता के हितों की रक्षा के लिए है। अगर शासन ने हमारी आवाज नहीं सुनी तो राजधानी रायपुर से लेकर पूरे प्रदेश में बड़ा आंदोलन होगा।”


सवालों के घेरे में शासन-प्रशासन

अब सवाल यह है कि—


भर्ती नियमों के स्पष्ट उल्लंघन पर अब तक कार्यवाही क्यों नहीं हुई?


•क्या स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी प्रशासन को गुमराह कर रहे है?


•क्या ये खेल सिर्फ कुछ अधिकारियों की जेब भरने के लिए चल रहा है?


•प्रवक्ता सुरेश पटेल एवं आईटी सेल प्रभारी संतलाल साहू ने साफ कहा है कि यह मामला सिर्फ भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि सीधे-सीधे जनता की बेरोजगारी से खिलवाड़ है।



छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग पर गहराते इस विवाद ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है। संघ की चेतावनी और जनता की चिंताओं ने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अब देखना होगा कि शासन इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाता है।


क्योंकि सवाल सिर्फ नौकरियों का नहीं, 


जितनी भी पदोन्नति हुई है इनका नाम सूची सहित संपूर्ण जानकारी अगले अंक में प्रकाशित किया जाएगा।

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