लगातार बारिश से जलस्तर बढ़ा, खेतों में भरने लगा पानी…


कवर्धा। जिले में तीन दिनों की झड़ी ने जिले के खेतों को लबालब कर दिया है। खेती-किसानी में जो पानी की कमी थी वह अब पूरी हो चुकी है। रोपाई और बोआई का कार्य पूर्ण हो चुका है। बेहतर बारिश के बाद अब बियासी के कार्य में किसान लग चुके हैं।

सावन की झड़ी लगने से जिले में खेत और नदियों को लबालब कर दिया। तीन दिनों में जिलेभर में औसत 80 मिली मीटर से अधिक बारिश दर्ज किया गया। मुय रुप से पंडरिया, बोड़ला, कुकदुर, रेंगाखारकला तहसील अंतर्गत अधिक बारिश हुई। इसके चलते उस क्षेत्र के नदी, नाले उफान पर आ गए, जबकि खेत से पानी लबालब होकर छलकने लगे। किसानों ने तेजी से धान की रोपाई और बुआई पूरी की। कम बारिश के चलते बोआई में पिछड़ चुके किसानों ने राहत की सांस ली।

अब किसान धान की बियासी कार्य में जुट चुके हैं। बेहतर बारिश के चलते अब तक 20 फीसदी बियासी कार्य भी हो चुका है। इस बारिश के चलते ही किसानों को उमीद है कि इस वर्ष भी धान का अधिक उत्पादन होगा।

पिपरिया क्षेत्र में अधिक बारिश

जिले में 1 जून से अब तक का औसत 429.1 गेहूं की फसल है जो इसी अवधि में लक्ष्य वर्ष की तुलना में 54 हैमिमी औसत बारिश से अधिक है। तहसील कवर्धा और सहसपुर लोहारा को छोड़कर पंडरिया, बोड़ला, रेंगाखारकला, कुण्डा, पिपरिया व कुकदुर में बीते वर्ष के मुकाबले इस बार अधिक बारिश हुई है।

इस बार जिले में सबसे अधिक बारिश तहसील पिपरिया में औसत 602.8 मिमी दर्ज की गई है। वहीं कुकदुरिया में 590.3 मिमी, रेंगाखारकला में 531.5 मिमी, बोदला में 476.1 मिमी, कवर्धा में 405.7, पंडरिया में 284, सहसपुर लोहारा में 273.4 और तहसील कुंडा में 26.2 मिमी औसत बारिश दर्ज किया गया।

जिले में इस खरीफ सीजन में आषाढ़ में कम बारिश हुई, जबकि सावन लगते ही बरसात की शुरुआत हुई। बीच-बीच में बारिश होती रही जिससे खेतों की प्यास बुझती रही। जबकि मानसून की शुरुआती दौर में कम बारिश होने से किसानों की आस टूट रही थी लेकिन बीच-बीच में हुई बारिश और अभी तीन दिनों से हुई लगातार बारिश ने तो जिलेभर को पानी-पानी कर दिया।

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