भारत ने दो बांधों से रोका चिनाब का पानी, पाकिस्तान में नदी का लेवल रिकॉर्ड स्तर पर गिरा
नई दिल्ली। भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता सस्पेंड करने के बाद पानी रोकना शुरू कर दिया है. दो बांधों के गेट बंद करने की वजह से अब पाकिस्तान में चिनाब नदी का वाटर लेवल एक महीने में सबसे कम स्तर पर पहुंच गया है. अगले कुछ दिनों तक ऐसे हालात जारी रहने की उम्मीद है और इससे पड़ोसी देश को भारी नुकसान होने की आशंका है.
भारत ने बंद किए दो बांधों के गेट
करीब 78 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दो हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट सलाल और बगलिहार बांधों के गेट रविवार को बंद कर दिए गए थे, क्योंकि हर साल गाद और मलबे की सफाई की जाती है, जिससे पड़ोसी देश में कुछ दिनों के लिए नदियां उफान पर आ जाती हैं.
बांधों से गाद निकालना और उन्हें फिर से भरना एक रेगुलर प्रैक्टिस है जो आमतौर पर अगस्त में मानसून के दौरान की जाती है. हालांकि, इस साल पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने सिंधु जल संधि (IWT) को सस्पेंड करने के बाद इसे पहले ही शुरू कर दिया है.
अपने डिजाइन के लिहाज से सलाल और बगलिहार बांध बड़ी मात्रा में पानी का स्टोरेज नहीं कर सकते हैं. यह सिंधु जल संधि के तहत लगाई गई पाबंदी है. पाकिस्तान के सिंधु नदी सिस्टम अथॉरिटी (IRSA) के आंकड़ों से पता चलता है कि पानी के प्रवाह में भारी गिरावट आई है, जो 23 अप्रैल को 29,675 क्यूसेक से घटकर 5 मई तक 11,423 क्यूसेक रह गया. यानी 61 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. प्रवाह का मतलब किसी भी समय बांध के रिजर्वायर में प्रवेश करने वाले पानी की मात्रा से होता है.
पानी के आउटफ्लो में भी गिरावट
इसी तरह वाटर आउटफ्लो के डेटा में भी 83 प्रतिशत की बड़ी गिरावट देखी गई है. 5 मई तक यह 21,675 क्यूसेक से घटकर सिर्फ 3,761 क्यूसेक रह गया. आउटफ्लो का मतलब है कि बांध के रिजर्वायर के जरिए छोड़े गए पानी की मात्रा. जब नदी का फ्लो मीडियम होता है तो सलाल और बगलिहार बांधों के रिजर्वायर लगभग 4 दिनों तक पानी रोक सकते हैं. जब वाटर फ्लो कम होता है तो 16 दिनों तक पानी रोक सकते हैं.
सिंधु जल संधि ने पाकिस्तान को चिनाब, झेलम और सिंधु के पानी पर विशेष अधिकार दिए हैं. भारत इसके पानी का इस्तेमाल सिर्फ बिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए कर सकता था, ताकि नीचे की ओर का प्रवाह प्रभावित न हो.
पाकिस्तान में कृषि संकट के आसार
पाकिस्तान के सिंधु नदी सिस्टम अथॉरिटी के प्रवक्ता मुहम्मद खालिद इदरीस राणा ने ब्लूमबर्ग को बताया कि रविवार सुबह से चिनाब में पानी का प्रवाह सामान्य मात्रा से करीब 90 फीसदी तक कम हो गया है, जो पाकिस्तान की ओर जाता है. उन्होंने कहा कि अगर जल प्रवाह में कटौती जारी रही तो पाकिस्तान को खेतों में पानी की सप्लाई में पांचवें हिस्से तक की कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने विभिन्न एजेंसियों से चिनाब नदी पर पाकल दुल, किरू, क्वार और रातले हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के काम में तेजी लाने में मदद करने को कहा है. अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के एक आकलन के मुताबिक, एक बार काम पूरा हो जाने पर इन बांधों का कुल जल भंडारण, विशेष रूप से रबी की फसल के ड्राई पीरियड के दौरान भारत को बड़ा प्रभाव डालने की क्षमता प्रदान करेगा.
चिनाब नदी पाकिस्तान की सिंचाई प्रणाली के लिए बहुत अहम है क्योंकि इसकी नहरें पाकिस्तान के पंजाब में कृषि भूमि के एक बड़े हिस्से की सिंचाई करती हैं. डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान सरकार का मानना है कि चिनाब के प्रवाह में किसी भी तरह की कमी से खरीफ फसलों को नुकसान होगा, जो पहले से ही अनुमानित 21 फीसदी की कमी का सामना कर रही है.
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