जंगी हथियार नहीं, अब मोबाइल डिवाइस होंगे लड़ाई के औजार; इजरायली हमले से भारत को क्या मिली सीख


नई दिल्ली। एक के बाद एक हमलों से इजरायल ने हिज्बुल्लाह की आंखों में अपना खौफ भर दिया है। हिज्बुल्लाह की अकड़ तब और चकनाचूर हो गई जब इजरायल ने पहले पेजर और अब वॉकी-टॉकी के जरिए ईरानी संगठन को अपना निशाना बनाया है। हमास के नेता इस्माइल हानिये की हत्या के बाद हिज्बुल्लाह ने भी इजरायल को करारा जवाब देने की कसम खाई थी। मगर इससे पहले हिज्बुल्लाह कुछ करता, इजरायल ने हिज्बुल्लाह के संचार नेटवर्क में सेंधमारी कर उसके हौसले को ध्वस्त कर दिया। इजरायल की इस कार्रवाई के कई मायने उभर कर सामने आए हैं।

यह ऑपरेशन इजरायली खुफिया एजेंसी के लिए महत्वपूर्ण था क्योंकि 7 अक्टूबर, 2023 के हमले के बाद इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए थे। इस बार इजरायल ने न केवल अपनी खोई हुई साख को फिर से हासिल कर लिया है ईरान और उसके आतंकी संगठनों को भी बेइज्जत कर दिया। इजरायली एजेंसी की सफलता ने यह दिखा दिया कि वह हिज्बुल्लाह और अन्य ईरानी समर्थित समूहों के खुफिया नेटवर्क में सेंध लगा सकती है। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि देश को अपनी रक्षा के लिए स्वदेश निर्मित डिवाइस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि दूसरे देशों से आयातित उपकरणों पर निर्भर रहना चाहिए।

बदल रहा जंग का तरीका

आधुनिक आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए इजरायल का यह कदम अन्य देशों के खुफिया एजेंसियों के लिए एक मिसाल बन सकता है। हिज्बुल्लाह के खिलाफ इजरायल की कार्रवाई से दुनिया को यह चेतावनी मिली है कि भविष्य के युद्ध पारंपरिक हथियारों से नहीं, बल्कि साइबर हमलों और संचार उपकरणों के माध्यम से लड़े जाएंगे। यह भी स्पष्ट हो चुका है कि इजरायल ने ईरानी समर्थित संगठनों के संचार नेटवर्क में सेंध लगा दी है, जिससे उनकी ताकत कमजोर हो गई है।

लेबनान में हुए विस्फोट से भारत को क्या सीख

भारत के लिए इजरायली मॉडल से सीख लेने की जरूरत है क्योंकि पिछले तीन दशकों से पाकिस्तान स्थित इस्लामिक आतंकवादियों के निशाने पर भारत रहा है। बड़ी संख्या में भारतीय लोग चीनी निर्मित मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं, जो पाकिस्तान का सहयोगी है। इजरायली अभियान ने भारतीय सशस्त्र बलों के लिए भी एक संदेश छोड़ा है कि उन्हें अपनी संचार व्यवस्था को सुरक्षित करना चाहिए, न कि पश्चिमी देशों में बने उपकरणों पर निर्भर रहना चाहिए। जब तक संचार नेटवर्क पर निरंतर निगरानी में नहीं रहती, तब तक भारत के सशस्त्र बल भी प्रॉक्सी हमलों का शिकार हो सकते हैं।

संचार उपकरण इस्तेमाल करने से पहले कई बार सोचेंगे आतंकी

इजरायल की आतंकवाद विरोधी कार्रवाई ने न केवल हिज्बुल्लाह के लड़ाकों को मानसिक रूप से तोड़ा है, बल्कि उनके आकाओं की भी मंशा को तार-तार किया है। अब आतंकवादी किसी भी संचार उपकरण का इस्तेमाल करने से पहले कई बार सोचेंगे, क्योंकि वह उपकरण उनके लिए मौत का कारण बन सकता है। अब ईरान से इजरायल के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। हालांकि, दोनों देश एक पूर्ण युद्ध की स्थिति में नहीं जा सकते। ईरान की प्रतिक्रिया मिसाइल हमलों और उसके प्रॉक्सी संगठनों जैसे हमास, हौथी, हिज्बुल्लाह और कातैब हिज्बुल्लाह के माध्यम से हो सकती है लेकिन यह छिपी हुई हो सकती है।

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