जो क्षमा मांग लेता है उससे बड़ा दूसरा कोई नहीं,ऐसा महान जैन धर्म है : मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य और राजधानी रायपुर के लिए 9 सितंबर को परम गौरव का क्षण रहा। हमारी धरती पर अनराधार आराधना की ऐसी बौछार शायद प्रथम बार हुई है। सर्व सिद्धि दायक श्री सिद्धि तप की कठिन तपस्या को 115 शूरवीर साधकों ने कर दिखाया है। श्री सिद्धि तप की पूर्णाहुति पर बूढ़ापारा स्थित सरदार बलवीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम में सिद्धि तप के तपस्वियों के लिए सामूहिक पारणोत्सव का आयोजन हुआ। सिद्धि तप के तपस्वियों के बहुमान समारोह में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह,सांसद बृजमोहन अग्रवाल,पूर्व मंत्री व विधायक राजेश मूणत शामिल हुए। मुख्यमंत्री सहित अतिथियों ने सिद्धि तप के तपस्वियों का बहुमान किया और तप की अनुमोदना की।
सिद्धि शिखर विजयोत्सव के मंच में विराजमान जैन संतों और साध्वी जी भगवंतों को नमन करते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि माता कौशल्या की धरती, प्रभु राम के ननिहाल छत्तीसगढ़ की पावन धरा धन्य है, यहां पर ऋषि मुनियों, साधु संतों का आगमन होता रहता है। सदैव संतों का आशीर्वाद प्राप्त होता रहता है। आज जैन समाज के तपस्वियों में 11 साल का हमारा बेटा और 80 साल की माताजी भी शामिल है। आज तपस्वियों का स्वागत अभिनंदन करने का सौभाग्य मिला। जैन संतों का त्याग, तपस्या, संयम,खान- पान,दिनचर्या,बगैर पादुका के सदैव पैदल चलना और जैन समाज में क्षमा मांगने की परंपरा है। जो क्षमा मांग लेता हैं उससे बड़ा दूसरा कोई नहीं, ऐसा महान जैन धर्म है। संतों के आशीर्वाद से संपन्न 115 तपस्वियों की सिद्धि तप की तपस्या से छत्तीसगढ़ में खुशहाली,सबके घर में सुख समृद्धि हो ऐसी कामना करता हूं।
तपस्वियों के सिद्धि का लाभ न केवल परिवार बल्कि छत्तीसगढ़ के लिए भी हितकारी रहेगा : डॉ. रमन सिंह
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने सिद्धि शिखर विजय उत्सव के मंच से छत्तीसगढ़ की ओर से जैन संतों और साध्वी भगवंतों का स्वागत करते हुए प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि 115 तपस्वियों ने गुरु महाराजों की प्रेरणा से अद्भुत तप किया। निश्चित रूप से उनकी सिद्धि का लाभ न केवल उनके परिवार बल्कि छत्तीसगढ़ के लिए भी हितकारी रहेगा। छत्तीसगढ़ ऋषि भूमि, कृषि भूमि है,यहां सदैव संतों का आशीर्वाद मिलता रहा है। हमारा सौभाग्य है कि जैन संत रायपुर में चातुर्मास कर रहे हैं। यह कठिन तप गुरुओं के आशीर्वाद से संभव हुआ है। गुरुओं की प्रेरणा मिली और तप और जप का लाभ हुआ। इसके प्रभाव से छत्तीसगढ़ निश्चित रूप से विकास की दिशा में आगे बढ़ेगा और सुख,शांति और समृद्धि बढ़ेगी।
सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने सिद्धि शिखर विजय उत्सव के मंच में विराजमान गुरु भगवंतो के चरणों में प्रणाम करते हुए कहा कि तपस्वियों ने जो कठिन सिद्धि तप किया है ये इन्हें शिखर पर पहुंचाएगा। मन, शरीर,आत्मा पर विजय प्राप्त करने वाले तपस्वियों को मैं शुभकामना देता हूं। यह तपस्या जन्मभूमि, कर्मभूमि,जीने की भूमि छत्तीसगढ़ को समृद्धशाली, वैभवशाली बनाएगी। चातुर्मास में गुरुदेवों के आगमन छत्तीसगढ़ की पावन भूमि धन्य हुई है। आज इस मंच से मैं भी यदि कोई गलती हुई है तो मन,वचन, काया से क्षमा मांगता हूं। सभी गुरु के प्रवचनों को आत्मसात कर जीवन का कल्याण करें।
तपस्वियों के बहुमान समारोह में ओजस्वी प्रवचनकार मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी ने आशीर्वचन में कहा कि अमेरिका के भूतपूर्व उपराष्ट्रपति ने अपनी किताब में लिखा कि चलो एक ऐसा धर्म बनाएं जो अहिंसा और करुणा में विश्वास रखता हो। मुनिश्री ने कहा कि ऐसा कोई धर्म बनाने की जरूरत नहीं है। एक ऐसा धर्म है जो अहिंसा और करुणा का समर्थन करता है जो किसी जीव का दिल दुखाना की जरूरत नहीं करता,जिसमें एवरेस्ट की ऊंचाई भी है और अटलांटिक की गहराई भी है, इस धर्म का नाम जैन धर्म है। जैन धर्म में आचारों की ऊंचाई है तो विचारों की गहराई भी है। यहां 11 साल का बालक हो चाहे 80 साल की माताजी हो,44 दिनों में 4500 से अधिक सिद्धि तप का कठिन उपवास किए हैं। जैन धर्म में उपवास का 36 घंटा एक दाना अन्न का ग्रहण न करना यह स्वरूप है। ऐसे 115 तपस्वियों ने 4500 से अधिक उपवास किए हैं और इस भावना से किए कि तपस्या भले हमने की लेकिन इसकी ऊर्जा के द्वारा समस्त विश्व,देश और जिस राज्य में तप हुआ है उसका कल्याण हो। इस भावना के साथ तपस्वियों ने तपस्या की है। स्व कल्याण नहीं, सर्व का कल्याण हो,इस भावना के साथ सिद्धि तप का उपवास कर सिद्धि शिखर में विजय पताका फहराई है। मुनिश्री ने कहा कि विश्व में कोई नया धर्म डिजाइन करने की जरूरत नहीं है। सदियों पहले हमें धर्म मिल गया है। आज राज्य के मुखिया हमसे जुड़े हैं तो राज्य के अंदर दया, करुणा,प्रेम, मैत्री सौहार्द का वातावरण बनेगा। इसका सबसे बड़ा उदाहरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का गुजरात है।
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