बस्तर के सुदूर अंचलों में भी हो रही अब हाईटेक खेती,परम्परागत कृषि से इतर बागवानी में तलाश रहे हैं नई संभावनाएं

 


छत्तीसगढ़ अब बदल रहा है, साथ ही बदल रही है आम जनजीवन की तस्वीर। छत्तीसगढ़ में पहले जहां किसान सिर्फ परम्परागत कृषि तक ही सोच पाते थे, वहीं अब सुदूर अंचलों के किसान भी कृषि में नवाचार करने की जुगत में लगे हैं। आलम यह हो चला है कि बस्तर के सुदूर अंचलों के किसान भी हाईटेक खेती करने लगे हैं साथ ही परम्परागत खेती से इतर बागवानी और उद्यानिकी समेत कृषि से जुड़े अन्य क्षेत्रों में भी संभावनाएं तलाश रहे हैं। ऐसी ही एक बानगी बस्तर के दंतेवाड़ा और कांकेर जैसे अंचलों में देखने को मिल रही है। यहां किसान महादेव और महेन्द्र परम्परागत कृषि के अलावा अब सब्जी उत्पादन करते हुए अपना जीवन बदलने में लगे हैं। उनके जीवन में यह नवाचार सकारात्मक बदलाव लेकर आया है। हाईटेक खेती के साथ सब्जी उत्पादन करने से इन किसानों की आय में कई गुना तक बढ़ोत्तरी हुई है, जिससे उन्हें आर्थिक संबलता मिली है।



वनांचल क्षेत्र दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा के ग्राम समलूर निवासी महादेव और उत्तर बस्तर कांकेर के ग्राम दुर्गूकोंदल के महेन्द्र को उद्यानिकी की उन्नत तकनीकों की जानकारी मिली और वे बागवानी अंतर्गत सब्जी उत्पादन में लग गए। अरसे से परंपरागत खेती करते आ रहे श्री महादेव बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसे दिन भी देखे हैं जब उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती थी। तब उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा उन्नत तकनीकी से खेती करने की सलाह दी गयी। उन्हें ड्रिप सिंचाई पद्धति एवं शेडनेट हाउस की स्थापना के बारे में बताया गया, जिसके बाद किसान श्री महादेव की जिंदगी बदल गयी। उद्यानिकी विभाग से अनुदान पर वर्ष 2021-22 में शेडनेट हाउस एवं ड्रिप स्थापना की। महादेव ने शेडनेट के अंदर आधा एकड़ भूमि पर ड्रीप पद्धति से ग्राफ्टेड टमाटर लगाया। इससे फलों का उत्पादन बढ़ा है। वे बताते है कि अच्छी फसल को देखते हुए इस तकनीक को आगे भी जारी रखने का फैसला लिया। इस तकनीक से अब तक महादेव ने 12 हज़ार रुपए तक के टमाटर बेचे हैं। पूरी फसल को बेचने के बाद 1 लाख 30 हज़ार से 1 लाख 50 हज़ार रुपये तक की आमदनी की उन्हें संभवना है। ये कहानी यहीं खत्म नहीं होती। उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों द्वारा समय-समय पर तकनीकी सलाह देते रहते हैं, जिसके कारण ये उन्नत तकनीक की खेती को देखने के लिए आस-पास के किसान भी वहां पहुंच रहे हैं। उम्मीद की जा सकती है कि ये तकनीक और भी किसानो को इसी तरह लाभ पहुंचाएगा, जहां आज महादेव के उन्नत तकनीक से की गई खेती अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन रहा है। आशा की जा सकती है कि ये कहानी यहाँ तक सीमित न होकर अन्य किसानों की सफलता की कहानी बन कर उभरेगी।


दुर्गूकोंदल के किसानों को धान के बदले सब्जी एवं अन्य व्यावसायिक फसल हेतु प्रोत्साहित कर उद्यानिकी विभाग (चेम्प्स बीज निगम) एवं ड्रिप सिंचाई से लाभान्वित किया जा रहा है। जिला मुख्यालय कांकेर से लगभग 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम सिवनी, आमापारा के किसान महेन्द्र श्रीवास्तव ने गत वर्ष 2021-22 में कृषि अभियांत्रिकी कांकेर के मार्गदर्शन में ड्रीप सिंचाई का लाभ लेकर अपनी 22 एकड़ की जमीन में ड्रीप सिंचाई की स्थापना किया तथा वर्तमान में पूरे 22 एकड़ क्षेत्र में सब्जियों की खेती कर रहे हैं। कीट एवं रोग नियंत्रण के लिए रसायनिक दवाओं के साथ-साथ जैविक विधि का भी उपयोग कर परम्परागत धान की खेती की तुलना में सब्जियों की व्यवसायिक खेती से लगभग चार गुना अधिक आमदनी प्राप्त कर रहे हैं। उनके द्वारा 15 से 20 लोगों को वर्षभर रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। कृषक महेन्द्र श्रीवास्तव क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बने, उनका अनुसरण करते हुए अन्य कृषक भी ड्रीप सिंचाई पद्धति को अपनाकर ड्रीप सिंचाई से खेती करने हेतु आगे आ रहे हैं। महेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि पहले परंपरागत तरीके से धान की खेती करते थे, जिसमें प्रतिवर्ष लगभग ढाई लाख रुपये की आमदनी होता था। वर्तमान में ड्रिप सिंचाई से सब्जी की खेती की जा रही है, जिसमें करेला, खीरा, लौकी, मिर्च, टमाटर की फसल हो रहा है, जिससे लगभग 09 लाख 60 हजार रूपये की शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ एवं सब्जी उत्पादन जारी है।

जिला प्रशासन द्वारा जिले के किसानों को धान के बदले अन्य लाभकारी फसलों की खेती को अपनाने के साथ-साथ ड्रीप सिंचाई को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़े और वे आत्मनिर्भर हों। ड्रिप सिंचाई से कम पानी में अधिक से अधिक रकबा में सिंचाई किया जा सकता है, किसान सब्जी एवं अन्य लाभकारी फसल की खेती से अधिकतम फसल उत्पादन कर अपनी आय दोगुनी से तिगुनी कर सकते हैं।

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