45 साल में खुद को दोहराता इतिहास… जब गर्मजोशी से मिले दोनों नेताओं के पोते

 


बीजेपी और शिवसेना का साथ लंबा था. महाराष्ट्र में दोनों साथ मिलकर चुनाव लड़ते थे. मगर 2019 में एक बदलाव हुआ. बड़ा भाई छोटा हो गया है और छोटा भाई बड़ा हो गया. अब बड़ा भाई नाराज हो गया कि हमेशा से तो मैं ही बड़ा था तो अब भी मैं ही श्रेष्ठ रहूंगा. खैर, 2019 विधानसभा चुनाव में 288 विधानसीटों में बीजेपी को 105 सीटें में जीत मिलीं, शिवसेना को 56 सीटें. बस यहीं से विवाद शुरू हुआ. दोनों का गठबंधन टूटा और फिर तीन अलग-अलग विचारधारा वाले दलों (शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी) ने मिलकर सरकार बनाई और सीएम बने शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे. यहीं से खींचतान शुरू हुई।


दरअसल, ये इतिहास की बातें इसलिए बताई जा रही हैं कि आज एक तस्वीर काफी चर्चा का विषय बनी हुई है. ये तस्वीर उस वक्त भी बहुत वायरल हो रही थी जब उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया था. बीजेपी ने उस वक्त कहा था कि उद्धव अपने पिता के वचन हो ही भूल गए तब शिवसैनिकों ने इंदिरा गांधी और बाला साहेब ठाकरे की एक तस्वीर पोस्ट कर ये बताने की कोशिश की थी कि कांग्रेस और शिवसेना में कोई खटास नहीं थी।


खुद को दोहराता इतिहास…

इतिहास खुद को दोहराता है. ये बात सही है. महाराष्ट्र में जिस तरह से सियासी हलचल रही और उद्धव ठाकरे को सत्ता से बेदखल तो होना ही पड़ा साथ ही अब सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई शिवसेना पर दावे की लड़ाई चल रही है. अब आते हैं वर्तमान पर. कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा महाराष्ट्र में है. राहुल गांधी उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे के साथ गले मिल रहे हैं. उनकी इस तस्वीर को काफी लोग पसंद करते हुए कह रहे हैं कि 45 साल में खुद को दोहराता इतिहास. एक तस्वीर वो जिसमें इंदिरा गांधी के सामने बाला साहेब ठाकरे हैं और आज की तस्वीर में दोनों नेताओं के पोते. कांग्रेस के लिए बाला साहेब ठाकरे बहुत ही कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते थे लेकिन बाल ठाकरे इंदिरा गांधी की कई नीतियों के समर्थक भी थे. 1975 में जब पीएम इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू कर दिया था, तब बाल ठाकरे ने इस कदम का समर्थन किया था, जबकि बाकी ज्यादातर पार्टियां इसका जोरदार विरोध कर रही थी. तमाम पार्टियों के नेता उस वक्त सलाखों के बीच डाल दिए गए थे।


बाला साहेब ठाकरे और कांग्रेस के रिश्ते

राजनीतिक इतिहास को पलटकर देखें तो 1975 में आपातकाल की घोषणा हुई. इसके बाद विपक्षी नेताओं को जेल में ठूस दिया गया. उस वक्त महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री शंकरराव चव्हाण ने बालासाहेब के सामने दो विकल्प रखे थे. या तो वो गिरफ्तार हो जाएं या फिर आपातकाल के समर्थन का ऐलान कर दें. तब बाला साहेब ने जेल जाना मुनासिब नहीं समझा और आपातकाल के पक्ष में हो गए थे. ये पहला वाकया नहीं था जब बाला साहेब ने कांग्रेस का समर्थन किया।


इससे पहले 1971 में कांग्रेस के दो फाड़ होने के बाद बाला साहेब ने (O) के साथ हाथ मिलाया और अपने तीन उम्मीदवार भी खड़े किए मगर वो तीनों ही हार गए. 1984 आते-आते कांग्रेस और बाला साहेब के रिश्ते टूटने लगे और इसका कारण था प्रमोद महाजन. 1984 चुनाव में बाल ठाकरे ने अपनी पार्टी के दो उम्मीदवार बीजेपी के चुनाव निशान पर खड़े किए थे. 1989 में बीजेपी-शिवसेना ने अपना गठबंधन फाइनल किया इसमें प्रमोद महाजन का बड़ा योगदान था. इस गठबंधन में शिवसेना हमेशा बड़े भाई की भूमिका में रही।


शिवसेना को कभी कांग्रेस जैसा नहीं होने दूंगा- बाल ठाकरे

2019 में जब कांग्रेस और शिवसेना का गठबंधन हुआ तब बाला साहेब के पुराने वीडियोज सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए थे. इनमें वो काफी कड़े शब्दों का प्रयोग करते दिख रहे हैं. एक वीडियो में वो कह रहे हैं कि शिवसैनिकों को तो हिंदुत्व और भगवा झंडा के लिए मान-सम्मान मिलता है. इससे कभी गद्दारी नहीं की जा सकती. विचारधारा के स्तर पर शिवसेना कभी कांग्रेस जैसी होने लगी तो वो पार्टी को ही भंग कर देंगे. वो कहते हैं, ‘शिवसेना को कभी कांग्रेस जैसा नहीं होने दूंगा, कभी नहीं और मुझे मालूम होगा कि ऐसा हो रहा है तो मैं अपनी दुकान बंद कर लूंगा. शिवसेना चुनाव नहीं लड़ेगी।


दुश्मन से हाथ नहीं मिलाता मैं- बाल ठाकरे

उन्होंने एनसीपी के लिए भी काफी कड़े शब्दों का प्रयोग किया था. एक वीडियो में वो कहते हैं कि कम-से-कम वो कभी एनसीपी की मदद से सरकार नहीं बनाएंगे. एक इंटरव्यू के दौरान पूछे गए सवाल पर बाला साहेब ने कहा था, ‘मैं सोच भी कैसे सकता हूं कि जिसने वाजपेयी की सरकार गिराई, उसके साथ हाथ मिलाऊं. दुश्मन तो दुश्मन होता है.’ सोनिया गांधी को लेकर उन्होंने विवादित टिप्पणी की थी. एक वीडियो तो उनका बहुत फेमस है, जिसमें वो कहते हैं कि हि** ही सोनिया गांधी के आगे झुकते हैं. इस वीडियो को काफी वायरल किए गए।


महाराष्ट्र राजनीति में उठापटक

इन सब विरोध को नकारते हुए उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के साथ हाथ मिलाया और सरकार भी बनाई. लेकिन शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे ही बागी हो गए. उनके साथ शिवसेना के ज्यादातर नेताओं ने पार्टी छोड़ दी और महाराष्ट्र सरकार गिर गई. आज शिंदे को बीजेपी ने समर्थन दिया. शिंदे महाराष्ट्र के सीएम हैं और देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम. महाराष्ट्र में राहुल गांधी पहुंच चुके हैं. भारत जोड़ो यात्रा का समर्थन करने खुद आदित्य ठाकरे पहुंचे. दोनों नेताओं ने गर्मजोशी के साथ एक-दूसरे को गले से लगाया।


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